केन्द्र सरकार इंजीनियरों को लेकर प्रोफेशनल पंजीकरण की तैयारी कर रही है. दावा यह किया जा रहा है कि अगर कोई इंजीनियर किसी भी तरह के गलत कार्यों में लिप्त पाया जाएगा तो उसका पंजीकरण रद्द कर दिया जाएगा. दिल्ली सरकार के पीडब्लूडी डिपार्टमेंट के पूर्व इंजीनियरिंग इन चीफ दिनेश कुमार ने टीवी9 भारतवर्ष से खास बातचीत में बताया कि यह एक बहुत ही जरूरी कदम था जिसकी शुरुआत केन्द्र सरकार ने की है. उन्होंने कहा कि इससे किसी भी इंजीनियर में पहले से अधिक जिम्मेदारी तय होगी और इसका असर काम पर भी देखने को मिलेगा.
दिनेश कुमार ने बताया कि देशभर में फिलहाल केवल इंजिनियरिंग में ही 30 तरह के अलग-अलग विभाग हैं. ऐसे में किस विभाग से कितने इंजीनियर हैं इसका अभी तक कोई सरकारी आंकड़ा नहीं है. पेशेवर इंजीनियरों के लिए ‘ आचार संहिता’ का भी जिक्र है.
क्यों है यह जरूरी?
दिनेश कुमार ने कहा कि पहले देश में केवल सरकारी इंजीनियर होते थे. बदलते वक्त के साथ साथ इसमें बदलाव देखने को मिला. अब केवल 10 प्रतिशत तक ही सरकारी इंजीनियर बचे हैं अधिकतर प्राइवेट सेक्टर में इंजीनियर हैं. कई बार बात जब जिम्मेदारी की आती है तो इंजीनियर प्राइवेट सेक्टर में अपनी नौकरी बदल लेते हैं. इसका असर संस्थान से लेकर काम पर पड़ता है. एक बार रजिस्ट्रेशन हो जाने से फिर कोई इंजीनियर पहले से अधिक जिम्मेदार होगा.
डिग्री की जांच जरूरी है
दिनेश कुमार ने कहा कि कई बार ऐसा पाया गया है कि देश के दूर दराज हिस्से से कोई इंजीनियरिंग की डिग्री लेकर आता है. इसका वेरीफिकेशऩ नहीं हो पाता है. यदि इंजीनियर की डिग्री के पंजीकरण का प्रावधान होगा तो ऐसे लोगों के डिग्री का वेरीफिकेशन काफी अच्छे तरीके से हो पाएगा. उन्होंने कहा कि मेडिकल, सीए और वकीलों के रजिस्ट्रेशन के अच्छे परिणाम देखने को मिले हैं.
सरकार प्रोफेशनल इंजीनियर बिल 2025 लाने की तैयारी कर रही है. इसके साथ ही 27 सदस्यी भारतीय पेशेवर इंजीनियर्स परिषद का भी गठन होगा. किसी का भी पंजीकरण से पहले परीक्षा और तमाम तरह के अनिवार्यता से गुजरना होगा. ऐसे में विदेशों में भारतीय इंजीनियर की मांग और इज्जत दोनों बढ़ेगी.
क्या है सरकार का मकसद
इंजीनियर बिल 2025 के माध्यम से दुनियाभर में भारतीय इंजीनियरों को एक पेशेवर दर्जा दिलवाना है. इसके लिए प्रारंभिक तौर पर केंद्र सरकार ने प्रोफेशनल इंजीनियर बिल 2025 के लिए पहला ड्रॉफ्ट तैयार कर लिया है. आईआईटी, एनआईटी, आईआईआईटी से लेकर अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) से पासआउट नए और पुराने सभी इंजीनियरों को पंजीकरण होगा. नए बिल में डिग्री सत्यापन और आचार संहिता का भी प्रावधान है. यह बिल 2025 में लागू होने की उम्मीद है.