UP 58000 Waqf properties in dispute what happen after the bill becomes law.

देश की संसद में राज्यसभा से वक्त बिल को जब मंजूरी मिलेगी, उसके बाद से इसका सबसे बड़ा प्रभाव उत्तर प्रदेश देखने को मिल सकता है. एक सरकारी आंकड़े के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में जितनी भी वक्फ संपत्तियां मौजूद हैं, उसमें 98% प्रतिशत वक्फ संपत्तियां जो विवादों में दर्ज हैं. उत्तर प्रदेश के इन विवादित वक्फ संपत्तियों की खासियत ये है ये संपत्तियां राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज नहीं है. लिहाजा इस बिल के कानून बनने के बाद इन संपत्तियों पर फैसला लेने का अधिकार उन संबंधित जिलों के जिलाधिकारियों के हाथ में होगा.

आज की तारीख में वक्फ बोर्ड तकरीबन 57792 सरकारी संपत्तियों पर अपना दावा कर रहा है. ऐसे में इस बिल के कानून का रुप लेने के बाद इन सभी संपत्तियों फैसला लेने का अधिकार DM का होगा और DM दोनों पक्षों को सुनने के बाद ये तय करेंगे कि इनका मालिकाना हक भविष्य में किसके पास होगा. यूपी के वक्फ बोर्ड में दर्ज इन संपत्तियों में पिछले 70 सालों से खेल होने की संभावना जताई गई है. UP अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की गोपनीय रिपोर्ट ये बताती है कि सरकार और सार्वजनिक उपयोग में होने वाली ज़मीनों को भी राज्य और जिले के वक्फ बोर्ड ने अपने यहां इसे बतौर वक्फ बोर्ड की संपत्ति को दर्ज कर लिया है.

अब इन विवादों की सुनवाई भी DM करेंगे

यूपी के तमाम जिले विशेष तौर पर रामपुर और हरदोई समेत तमाम ज़िलों में ऐसी शिकायत मिली है कि निजी भूमि को भी गलत ढंग से वक्फ संपत्ति के रूप में बड़े स्तर पर इसको दर्ज किया गया है, जो कि यह विवाद ट्रिब्यूनल में लंबित है. अब इन विवादों की सुनवाई भी DM करेंगे, जिसके बाद इन से पीड़ित एक बड़े तबके को न्याय की उम्मीद बढ़ी हैं.

ऐसी 58 हजार सरकारी संपत्तियां

यूपी अल्पसंख्यक कल्याण बोर्ड की गोपनीय रिपोर्ट ये कहती है कि उत्तर प्रदेश के लगभग ऐसी 58 हजार सरकारी संपत्तियां हैं, जो UP वक्फ बोर्ड में बतौर उनकी संपत्ति के रूप में दर्ज है, जिनका रकबा 11,712 एकड़ है. सरकारी नियम ये कहता है की जो सरकारी संपत्तियों कागजों में पहले से मौजूद हैं, उनको वक्फ अपनी संपत्ति घोषित नहीं कर सकता है. ऐसे में नियमों के विपरीत जाकर पिछले कई दशकों से वक्प सरकारी संपत्ति पर भी अपना दावा ठोकते आया है.

उत्तर प्रदेश में इस तरह के मामले सिर्फ लखनऊ बाराबंकी अमेठी रायबरेली संभल जा रामपुर में नहीं है बल्कि हर जिले में 1 दर्जन से ज्यादा ऐसे मामले मौजूद हैं, जिसमें सरकारी संपत्तियों को भी वक़्त अपनी बताते आया है. ऐसे में इस बिल के कानून का रुप लेने के बाद एक झटके में इन तमाम सरकारी संपत्तियों पर वक़्फ़ का दावा ख़त्म हो जाएगा और इन पर फैसला सरकार को लेना होगा.

कहां कितने मामले?

सरकार के द्वारा जुटाए गए जिलों के आंकड़े यह बताते हैं कि अंबेडकर नगर में 997, अमेठी में 477, अयोध्या में 2116, बाराबंकी में 812, सुल्तानपुर में 506, बहराइच में 904, गोंडा में 944, श्रावस्ती में 271, हरदोई में 824, लखनऊ में 368, रायबरेली में 919, सीतापुर में 581 और कुलनौ में 5891 सरकारी संपत्तियों को वक्फ अपना बता रहा है. बिल के कानूनी अमलीजामा पहनाने से पहले ही तमाम मौलाना और धर्मगुरू इसे कोर्ट में चैलेंज करने की बात कर रहे हैं जबकि कांग्रेस और समाजवादी पार्टी भी इस सुर में सुर मिलाते हुई नजर आ रही है.

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